What Is Types of Network In Hindi | Computer Network Ke Prakar: आज हम इस लेख में नेटवर्क के प्रकार के बारे में पढ़ेंगे। अगर आप इसे पूरा पढ़ेंगे तो आपको आसानी से सब कुछ समझ आ जाएगा। तो चलिए शुरू करते हैं –
Types of Network In Hindi
- नेटवर्क क्या है?
- नेटवर्क की परिभाषा
- नेटवर्क के प्रकार
- नेटवर्क में उपयोग किए जाने वाले डिवाइस
- नेटवर्क का इतिहास
What Is Types of Network In Hindi | Computer Network Ke Prakar
नेटवर्क क्या है? (Network Kya Hai?)
जब एक कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटर से जुड़ा होता है। तो हम इसे नेटवर्क कहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, “कंप्यूटर में दो या दो से अधिक कंप्यूटरों का जुड़ना नेटवर्क कहलाता है”।
कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से एक दूसरे के साथ डेटा और सूचना साझा करते हैं। एक नेटवर्क तार और वायरलेस दोनों द्वारा बनाया जा सकता है। नेटवर्क में कंप्यूटर को जोड़ने की इतनी अधिक क्षमता है कि उपकरणों को दुनिया के हर कोने से जोड़ा जा सकता है।
नेटवर्क की परिभाषा
कंप्यूटर में दो या दो से अधिक कंप्यूटरों का जुड़ना नेटवर्क कहलाता है।
नेटवर्क के प्रकार (What Is Types of Network In Hindi | Computer Network Ke Prakar)
नेटवर्क 5 प्रकार के होते हैं –
- LAN
- MAN
- WAN
- PAN
- HAN
लैन | LAN
LAN का पूरा नाम लोकल एरिया नेटवर्क है। LAN एक ऐसा नेटवर्क है जिसका उपयोग छोटे क्षेत्र में कंप्यूटर या उपकरणों को जोड़ने के लिए किया जाता है। जैसे- ऑफिस, स्कूल, कॉलेज आदि में। ऐसे नेटवर्क आपको स्कूल, कॉलेज, ऑफिस आदि में देखने को मिल जाते हैं। अन्य नेटवर्क की तुलना में LAN बनाना बहुत सस्ता है।
LAN का उपयोग डेटा साझा करने, डेटा स्टोर करने और दस्तावेज़ों को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। LAN बनाने के लिए बहुत बड़े सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं किया जाता है। LAN में कंप्यूटर को आपस में जोड़ने के लिए हब, स्विच, नेटवर्क एडेप्टर, राउटर और ईथरनेट केबल का उपयोग किया जाता है। इसमें डाटा ट्रांसफर की स्पीड बहुत ज्यादा होती है।
लैन के लाभ | Advantages Of LAN In Hindi
1. इसमें डेटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में बड़ी आसानी से शेयर किया जा सकता है।
2. इसके जरिए हम इंटरनेट को शेयर भी कर सकते हैं।
3. इसके जरिए सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को शेयर किया जा सकता है।
4. इसमें संचार बहुत आसान और तेज होता है।
5. लैन समय बचाता है।
6. लैन बनाना बहुत आसान है।
7. लोकल एरिया नेटवर्क में आप एक बार में 1000 से ज्यादा कंप्यूटर कनेक्ट कर सकते हैं।
लैन के नुकसान | Disadvantages Of LAN In Hindi
1. इस नेटवर्क में वायरस या मालवेयर फैलने का खतरा रहता है।
2. LAN का एरिया बहुत छोटा होता है इसलिए हम डेटा को छोटे एरिया में ही शेयर कर सकते हैं।
3. इसमें सर्वर एरिया के क्रैश होने की आशंका रहती है।
4. लैन को मेन्टेन रखना अधिक कठिन है।
5. इसमें सुरक्षा अच्छी नहीं है। बेशक, इसे हैक करना आसान है।
6. इस प्रकार के नेटवर्क को मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है।
7. सेटअप करना मुश्किल है।
मैन | MAN
MAN का पूर्ण रूप मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क है। MAN का क्षेत्रफल (क्षेत्रफल) LAN से बड़ा है लेकिन WAN से छोटा है। MAN नेटवर्क LAN के समान होता है लेकिन MAN का क्षेत्रफल बड़ा होता है। MAN वह नेटवर्क है जो एक शहर में कई कंप्यूटरों को जोड़ता है।
उदाहरण के लिए – मान लीजिए कि आपके पास दिल्ली के अंदर अलग-अलग जगहों पर कई कंप्यूटर हैं। अब आप चाहते हैं कि ये सभी कंप्यूटर आपके किसी एक नेटवर्क से जुड़े हों। तो इस मामले में आपको MAN नेटवर्क की आवश्यकता होगी। यानी एक ऐसा नेटवर्क जो कई कंप्यूटरों को एक ही जगह से जोड़ सकता है।
MAN नेटवर्क की रेंज 10 KM से लेकर लगभग 100Km तक होती है। इसका मतलब है कि आप एक नेटवर्क की मदद से 100 किमी के क्षेत्र को कवर कर सकते हैं। जो अपने आप में काफी है। MAN नेटवर्क का उपयोग केवल अधिक क्षेत्र को कवर करने के लिए किया जाता है। MAN नेटवर्क का सबसे अच्छा उदाहरण केबल नेटवर्क है। आपने अक्सर अपने घरों में टीवी के अंदर केबल नेटवर्क देखा होगा।
एक MAN नेटवर्क स्वयं किसी संगठन या फर्म द्वारा बनाया जाता है। क्योंकि फर्म या संस्था ही इस नेटवर्क को अपनी ब्रांच से जोड़ने के लिए बनाती है। इस नेटवर्क का मालिक कोई एक व्यक्ति नहीं है। क्योंकि इस नेटवर्क का स्वामित्व सार्वजनिक और निजी दोनों है। उदाहरण के लिए, MAN का उपयोग बैंक की सभी शाखाओं को जोड़ने के लिए किया जाता है। MAN में प्रयुक्त प्रोटोकॉल RS-232, Frame Relay, ATM, ISDN, OC-3 और ADSL आदि हैं।
मैन के फायदे | Advantages Of MAN In Hindi
1. यह अधिक दूरी को कवर करता है।
2. यह LAN से कम खर्चीला होता है।
3. इस नेटवर्क की मदद से आप ईमेल प्रोग्राम को शेयर कर सकते हैं।
4. इस नेटवर्क की स्पीड बहुत अच्छी होती है।
5. इस नेटवर्क की मदद से आप इंटरनेट शेयर कर सकते हैं।
6. LAN को आसानी से MAN नेटवर्क में बदला जा सकता है।
7. इसमें आपको काफी अच्छी सुरक्षा मिलती है।
मैन के नुकसान | Disadvantages Of MAN In Hindi
1. इस नेटवर्क को मैनेज करना बहुत मुश्किल है।
2. इसकी इंटरनेट स्पीड अलग-अलग हो सकती है।
3. इसमें सिक्योरिटी होने के बावजूद हैकर्स के हमले होते रहते हैं.
4. इसे सेट करना बहुत मुश्किल काम है।
5. MAN नेटवर्क की स्थापना के लिए तकनीकी लोगो की आवश्यकता होती है।
6. इस नेटवर्क में अधिक तार की आवश्यकता होती है।
वैन | WAN
WAN का फुल फॉर्म वाइड एरिया नेटवर्क है। WAN वह नेटवर्क है जो दुनिया के हर कंप्यूटर और डिवाइस को जोड़ता है। इसे हम इंटरनेशनल नेटवर्क भी कहते हैं। क्योंकि यह नेटवर्क स्टेट टू स्टेट और कंट्री टू कंट्री कनेक्टिविटी के लिए है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण इंटरनेट है। आप दुनिया के किसी भी कोने से इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।
इस नेटवर्क का उपयोग एक देश को दूसरे देश के नेटवर्क से जोड़ने के लिए किया जाता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क भी माना जाता है। जो पूरी दुनिया के कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है। इस नेटवर्क को LAN के LAN के रूप में भी जाना जाता है।
इस नेटवर्क की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है। इसके अलावा इसका डाटा रेट भी ज्यादा होता है। WAN नेटवर्क भी दो प्रकार के होते हैं। 1.एंटरप्राइज वैन और 2.ग्लोबल वान
WAN नेटवर्क से जुड़े अधिकांश कंप्यूटर सार्वजनिक नेटवर्क का उपयोग करते हैं।इस नेटवर्क को स्थापित करने में बहुत पैसा खर्च होता है। इसके अलावा इसे मेंटेन करना भी काफी मुश्किल होता है। जो कंपनियां यह नेटवर्क मुहैया कराती हैं। हम उन्हें नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर कहते हैं। इस नेटवर्क में डेटा ट्रांसमिशन की स्पीड थोड़ी धीमी होती है। इस नेटवर्क को चलाने के लिए SONET, Frame Relay और ATM जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
WAN का क्षेत्रफल LAN और MAN के क्षेत्रफल से बहुत बड़ा होता है। वाइड एरिया नेटवर्क का उपयोग व्यापार, शिक्षा और सरकार के क्षेत्र में अधिक किया जाता है।
वैन के लाभ | Advantages Of WAN In Hindi
1. यह नेटवर्क बहुत बड़े क्षेत्र को कवर करता है।
2. यह सेंट्रलाइज्ड डेटा सिस्टम को मेन्टेन करके रखता है।
3. इसमें डाटा और फाइल दोनों अपडेट रहते है।
4. आप इस नेटवर्क में कई एप्लिकेशन और संदेश साझा कर सकते हैं।
5. इस नेटवर्क में आप सॉफ्टवेयर और रिसोर्सेज को आसानी से शेयर कर सकते हैं।
6. WAN नेटवर्क वैश्विक व्यापार के लिए फायदेमंद हैं।
7. इस नेटवर्क में काम का बोझ आसानी से बंट जाता है।
8. इसकी बैंडविड्थ बहुत ज्यादा होती है।
वैन के नुकसान | Disadvantages Of WAN In Hindi
1. एंटीवायरस और फ़ायरवॉल के बिना इस नेटवर्क को चलाना मुश्किल है।
2. इस नेटवर्क को स्थापित करने में काफी खर्चा आता है।
3. WAN नेटवर्क में ट्रबलशूटिंग की समस्या देखने को मिलती है।
4. इस नेटवर्क में सर्वर डाउन की समस्या बनी रहती है।
5. इस नेटवर्क को मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है।
पैन | Pan
पैन का फुल फॉर्म पर्सनल एरिया नेटवर्क है। पर्सनल एरिया नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क है जो पहले से ही उपकरणों से जुड़ा होता है। इस नेटवर्क का दायरा बहुत छोटा है। इस नेटवर्क का उपयोग केवल एक ही व्यक्ति कर सकता है। इसकी रेंज सिर्फ 10 मीटर तक होती है।
केवल पर्सनल कंप्यूटर ही पैन के माध्यम से जुड़ा होता है, इसलिए इसे पर्सनल एरिया नेटवर्क कहा जाता है। यह नेटवर्क केवल कुछ उपकरणों की अनुमति देता है। जैसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच आदि। इस नेटवर्क की खोज थॉमस ज़िमरमैन ने की थी।
पैन के फायदे | Advantages of PAN In Hindi
1. इसमें अलग से किसी नेटवर्क को जोड़ने की जरूरत नहीं है।
2. इसका नेटवर्क आपके अलावा कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
3. ये नेटवर्क किसी भी तरह का डेटा ट्रांसफर कर सकते हैं।
4. इस नेटवर्क का उपयोग करना बहुत आसान है।
5. इस नेटवर्क को स्थापित करने में ज्यादा खर्च नहीं आता है।
पैन के नुकसान हिंदी में | Disadvantages of PAN In Hindi
1. PAN नेटवर्क की रेंज बहुत ज्यादा होती है।
2. एक समय में केवल एक ही व्यक्ति इस नेटवर्क का उपयोग कर सकता है।
3. इसमें डाटा ट्रांसफर की स्पीड बहुत धीमी होती है।
4. कमजोर सिग्नल आने पर ये नेटवर्क क्रैश हो जाते हैं।
हैन | HAN
HAN का फुल फॉर्म रूप “होम एरिया नेटवर्क” है। अगर एक ही घर के सभी लोग एक ही नेटवर्क का उपयोग करते हैं। तो हम उन्हें HAN नेटवर्क कहते हैं।
ये नेटवर्क बिल्कुल भी व्यक्तिगत नहीं हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति इनका उपयोग नहीं करता है। इस नेटवर्क के माध्यम से हम घर के सभी उपकरणों जैसे- कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन आदि को कनेक्ट कर सकते हैं। इस नेटवर्क की रेंज 100 मीटर से भी कम है। HAN बनाने के लिए मॉडेम और राउटर का उपयोग किया जाता है।
हैन के फायदे | Advantages of HAN In Hindi
1. आप घर के किसी भी कोने में बैठकर इस नेटवर्क को एक्सेस कर सकते हैं।
2. इसके जरिए आप वीडियो देखने के साथ-साथ लाइव स्ट्रीमिंग भी कर सकते हैं।
3. आप घर के किसी भी कोने में बैठकर डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं।
4. इस नेटवर्क का इस्तेमाल घर के सभी लोग कर सकते हैं।
हैन के नुकसान | Disadvantages of PAN In Hindi
1.HAN नेटवर्क की सीमा बहुत कम है, लगभग 100 मीटर।
2. फाइल और डेटा ट्रांसफर करने में काफी समय लगता है।
3. कभी-कभी नेटवर्क का सर्वर भी डाउन हो जाता है।
नेटवर्क में उपयोग किए जाने वाले डिवाइस
यदि नेटवर्क है, तो उसमें सभी डिवाइस जुड़े हुए रहते हैं, डेटा भी आता है जाता है, डेटा अलग-अलग कंप्यूटरों से होकर गुजरता है। दो नेटवर्क को एक साथ जोड़ने के लिए और कंप्यूटर को LAN से जोड़ने के लिए। इन सबके लिए हमें कुछ नेटवर्क डिवाइस जैसे हब, रिपीटर, स्विच, राउटर, मोडेम, ब्रिज की जरूरत होती है। आइये इनके बारे में विस्तार से जानते है।
हब | HUB
यह एक बेसिक नेटवर्किंग डिवाइस है। यह डिवाइस फिजिकल लेयर में काम करती है। इस वजह से यह नेटवर्किंग डिवाइसेज को आपस में फिजिकली कनेक्ट करता है। आमतौर पर इस डिवाइस का इस्तेमाल उस नेटवर्क में किया जाता है जिसमें ट्विस्टेड पेयर केबल का इस्तेमाल किया जाता है।
यह बिना किसी बदलाव के एक पैकेट को दूसरे डिवाइस पर फॉरवर्ड करने का काम करता है। “डेटा पैकेट” डिवाइस के लिए है या नहीं, यह बिना परवाह किए सभी उपकरणों को ट्रांसमिट करता है। हब एक्टिव हब और पैसिव हब दो प्रकार के होते हैं।
स्विच | Switch
यह डिवाइस HUB की तरह फिजिकल लेयर पर भी काम करता है। यह डिवाइस HUB से भी ज्यादा इंटेलिजेंट है। HUB केवल डेटा पैकेट को अग्रेषित करता है लेकिन स्विच फ़ॉरवर्डिंग के साथ-साथ फ़िल्टर भी करता है। इसलिए इसे इंटेलीजेंट कहा जाता है।
जब स्विच डेटा पैकेट प्राप्त करता है। तब वह फिल्टर करके एड्रेस का पता लगाता है। और पैकेट को उस डिवाइस पर फॉरवर्ड कर देता है। इसलिए स्विच सीएएम तालिका को बनाए रखता है। जिसमें उपकरणों का एड्रेस रहता है। CAM को फॉरवार्डिंग टेबल भी कहा जाता है
मोडम | Modem
इसका इस्तेमाल आज के इंटरनेट की दुनिया में हर कोई करता है। जब भी हम घर में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, तभी बाहरी दुनिया से डाटा हमारे कंप्यूटर तक पहुंचता है। लेकिन हमारा कंप्यूटर बाइनरी 0 और 1 की तरह डिजिटल डेटा को समझता है। और केबल में, डेटा एनालॉग सिग्नल के रूप में जाता है।
मॉडेम मॉड्यूलेटर और डेमोडुलेटर से ही बना होता है। मैं एक उदाहरण के साथ समझाता हूं, आपके कंप्यूटर में डेटा डिजिटल रूप में है। हमें इस डेटा को केबल के माध्यम से दूसरे कंप्यूटर पर भेजना होता है। इसके लिए हमें डिजिटल डेटा को एनालॉग में बदलना होगा।
मॉड्यूलेटर यह काम करता है। जब यह एनालॉग डेटा केबल कंप्यूटर में जाती है, तो उसे इस एनालॉग डेटा को डिजिटल में बदलना होता है। डेमोडुलेटर यह काम करता है। इसका उपयोग टेलीफोन लाइन में किया जाता है।
राउटर | Router
इसके नाम से ही आपको पता चल गया होगा कि यह रूट से संबंधित है। इस डिवाइस का काम दो नेटवर्क के बीच के रूट और ट्रैफिक को नियंत्रित करना है। यह दो नेटवर्क को तार और वायरलेस माध्यम से एक दूसरे से जोड़ता है।
यह डिवाइस OSI मॉडल के नेटवर्क लेयर में काम करता है। आजकल वायरलेस राउटर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह ट्रैफिक पुलिस की तरह ही डेटा की दिशा तय करती है।
ब्रिज | Bridge
जैसे राउटर दो अलग-अलग नेटवर्क को जोड़ता है, उसी तरह ब्रिज दो सब नेटवर्क को जोड़ता है। जो एक ही नेटवर्क से हैं। आइए एक उदाहरण लेते हैं। आप दो कंप्यूटर लैब और दो फ्लोर को ब्रिज के जरिए ही कनेक्ट कर सकते हैं।
रिपीटर | Repeater
यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। जो सिग्नल स्ट्रेंथ को बढ़ाने में मदद करता है। इसे आप यह भी कह सकते हैं, यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो सिग्नल को रिसीव करके उसे री-ट्रांसमिट करता है। रिपीटर सिग्नल लॉस्ट को रोकता है। इस वजह से डेटा बिना लोस्ट हुए दूर-दूर तक पहुंच जाता है।
यदि किसी कॉलेज में छात्रावास कॉलेज से दूर है। कॉलेज वाले चाहते हैं कि वे केबल के जरिए हॉस्टल और कॉलेज को इंटरनेट कनेक्शन देना चाहते हैं। ज्यादा दूरी होने के कारण डाटा रिसीवर तक ठीक से नहीं पहुंच पाता और डाटा नष्ट हो जाता है।इसके लिए हॉस्टल और कॉलेज के बीच लगे केबल के बीच रिपीटर लगाना होगा। प्रत्येक केबल की डेटा ट्रांसमिशन दूरी में एक सीमा होती है।
नेटवर्क का इतिहास
हम जिस नेटवर्क की बात कर रहे हैं उसकी शुरुवात कई साल पहले 1960 से 1970 में हो गई थी। उस नेटवर्क का नाम ARPANET है जिसे हम एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क कहते हैं। प्रारंभ में, नेटवर्क का उद्देश्य टर्मिनलों और रिमोट जॉब एंट्री स्टेशनों को मेनफ्रेम से जोड़ना था। लेकिन उस समय ARPANET में रिसोर्स शेयरिंग की अवधारणा को रखने में एक मूलभूत कारक था।
ARPANET उस धागे में बहुत विश्वसनीय था क्योंकि इसमें सर्किट स्विचिंग के बजाय पैकेट स्विचिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। ARPANET का उपयोग अमेरिकी रक्षा विभाग में भी होने लगा ताकि गुप्त पत्र भेजे जा सकें।
इसे अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों से जोड़ने में। उद्योगपति भी इसका प्रयोग करने लगे। धीरे-धीरे इसे और विकसित करता रहे। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है, जिसे हम इंटरनेट कहते हैं।
लेख से संबंधित सामान्य प्रश्न
कंप्यूटर नेटवर्क कितने प्रकार के होते हैं?
5 प्रकार के होते हैं:- LAN, MAN, WAN, PAN और HAN।
नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर को आपस में जोड़ना और डेटा साझा करना।
विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क कौन सा है?
इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है।
लेख के बारे में
अगर आपको यह पोस्ट (Types of Network In Hindi | Computer Network Ke Prakar) मददगार लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और अगर आपका इस लेख (Types of Network In Hindi | Computer Network Ke Prakar) या किसी अन्य विषय से जुड़ा कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।