Puran Kitne Hai Aur Kaun Kaun: पुराण का अर्थ है प्राचीन आख्यान या रचना। हमारे सनातन धर्म में सभी धार्मिक ग्रंथों में से पुराण का विशेष महत्व है। पुराण सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक है। इन पुराणों में लिखी बातें और ज्ञान आज भी सत्य साबित हो रही हैं। पुराणों में लिखा ज्ञान ही हमारी हिंदू संस्कृति और सभ्यता का आधार है।
पुराणों में हिंदू धर्म के भगवान, देवताओं, संतों, ऋषियों और वीर राजाओं, उनके द्वारा रचित लीलाओं, उनके जीवन और उनके सिद्धांतों का विस्तार से चित्रण किया गया है। पुराण संस्कृत भाषा में लिखे गए थे, जिनका बाद में हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया गया ताकि आम जनता पुराणों को पढ़ और समझ सके, साथ ही अपने जीवन में अपना सके।
लेकिन क्या आप जानते है हिन्दू धर्म में कितने पुराण हैं, पुराण कितने प्रकार के होते हैं, अगर नहीं तो आइये जानते है
पुराण कितने हैं उनके नाम (Puran Kitne Hai Unke Naam)
हिन्दू धर्म में कुल अठारह (18) है, जिनके नाम निम्नलिख्ति है – ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण (शिव पुराण), भागवत पुराण (देवीभागवत पुराण), नारद पुराण (नारदीय पुराण), मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, और ब्रह्माण्ड पुराण।
हिंदू धर्म में कुल 18 पुराण हैं, इन सभी पुराणों के रचयिता वेद व्यास जी हैं .जिन्होंने इन पुराणों में कई जानकारियां हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। इन पुराणों में आपको सृष्टि के आरंभ से लेकर अंत तक का वर्णन मिल जाएगा।
इन पुराण के बारे में (About These Puranas)
ब्रह्म पुराण (Brahma Purana)
ब्रह्म पुराण को महापुराण भी कहा जाता है, यह संस्कृत भाषा में बना एक पुराण है, जिसमें 10 हजार श्लोक हैं, जिसमें जगत की उत्पत्ति, जल की उत्पत्ति, देवताओं की उत्पत्ति, शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी की पूजा विधि बताई गई है।
पद्म पुराण (Padma Purana)
पद्म पुराण में 55 हजार श्लोक हैं, यह पुराण पांच मुख्य खण्डों में विभाजित है जो हैं श्रुष्टि खण्ड, भूमि खण्ड, स्वर्ग खण्ड, पाताल खण्ड और उत्तर खण्ड। पद्म पुराण में व्रत का महत्व, श्री राम जी, तुलसी इत्यादि की महिमा का वर्णन किया गया है।
विष्णु पुराण (Vishnu Purana)
वेदव्यास जी 23000 श्लोकों वाले विष्णु पुराण के रचयिता भी हैं। इस पुराण में समुद्र मंथन, भक्त प्रह्लाद की कथा, राज ऋषियों और देव ऋषियों के चरित्र को तार्किक ढंग से दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त विष्णु पुराण में गृह नक्षत्र, पृथ्वी, ज्योतिष के बारे में भी लिखा गया है। वेदों की शाखाओं, श्राद्ध विधि का वर्णन भी इस पुराण में है।
वायु पुराण (शिव पुराण) {Vayu Purana}
वायु पुराण को शिव पुराण भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें शिव की पूजा की विधि और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसके अलावा इस पुराण में भूगोल, खगोल विज्ञान, ऋषि वंश, राजवंश, संगीत शास्त्र, वेद शाखाएं, शिव भक्ति, युग, सृष्टिक्रम, तीर्थ, युग, श्राद्ध, पितरों के बारे में पढ़ा जा सकता है।
भागवत पुराण (देवी भागवत पुराण) {Bhagavata Purana}
इस पुराण में कुल 12 स्कन्ध और 18000 श्र्लोक हैं, यह मुक्ति का मार्ग दिखाने वाला पुराण है। इसके साथ ही कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं और उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। इसमें श्रीकृष्ण के देह त्याग, द्वारिका नगरी के जलमग्न होने की घटना, पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध का वर्णन है।
नारद पुराण (Narada Purana)
इस पुराण का दूसरा नाम नारदीय पुराण भी है। इसमें 25000 श्लोक हैं, जिनमें गणेश पूजा और अन्य पूजा विधि, हवन और यज्ञ, सृष्टि की उत्पत्ति और विनाश, मंत्रोच्चार, आने वाले महीनों में व्रत और विधियों का वर्णन है। इसमें कलियुग में होने वाले परिवर्तनों से संबंधित जानकारी भी मिलती है।
मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana)
इस पुराण में 137 अध्याय और 9000 श्लोक हैं, इस पुराण में आपको दुर्गा चरित्र, सामाजिक, आध्यात्मिक, द्रौपदी पुत्रों की कहानी, बालभद्र कथा, हरिश्चंद्र कथा, नैतिक विषय, सूर्य देव के जन्म के बारे में बताया गया है।
अग्नि पुराण (Agni Purana)
इस पुराण को अग्नि देव ने गुरु वशिष्ठ को सुनाया था, जिसके कारण इसका नाम अग्नि पुराण पड़ा। इस पुराण में त्रिदेवों, सूर्य पूजन विधि, महाभारत और रामायण का वर्णन, विष्णु देव और शिव जी का भी जिक्र है। इसके अलावा मत्स्य अवतार, दीक्षा विधि, वास्तु शास्त्र, सृष्टि रचना के बारे में भी बताया गया है।
भविष्य पुराण (Bhavishya Purana)
भविष्य पुराण में 14500 श्लोक हैं और इसमें धर्म, नीति, सदाचार, व्रत, दान, आयुर्वेद, ज्योतिष का वर्णन है और भविष्य पुराण में पृथ्वीराज चौहान, हर्षवर्द्धन महाराज, शिवाजी महाराज और मुहम्मद तुगलक, रानी विक्टोरिया, अलाउद्दीन, बाबर, तैमूरलंग, अकबर राजाओं का वर्णन है, इसीलिए इसे भविष्य पुराण कहा जाता है।
ब्रह्म वैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana)
ब्रह्म वैवर्त पुराण में 218 अध्याय तथा 18000 श्लोक हैं। इसमें कहा गया है कि भगवान शिव, भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और सारी प्रकृति भगवान कृष्ण से ही जन्मी हुई है। इसमें जीवो की उत्पत्ति, जीवो के जन्म और उनके पालन-पोषण के बारे में लिखा गया है।
लिंग पुराण (Linga Purana)
इस पुराण में कुल 11000 श्लोक हैं, जिनमें भगवान शंकर के 28 अवतारों का वर्णन है। भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंग के रूप में उत्पति, व्रत, शिव पूजा और यज्ञ का उल्लेख मिलता है। लिंग पुराण 11वाँ पुराण है।
वराह पुराण (Varaha Purana)
इस पुराण में 270 अध्याय और 10000 श्लोक मौजूद हैं, इस पुराण में वराह अवतार का वर्णन है जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसमें वराह कथा, व्रत, तीर्थ, दान, यज्ञ, नारायण की पूजा विधि, माता पार्वती जी व शिवजी की कथा का उल्लेख मिलता है।
स्कंद पुराण (Skanda Purana)
स्कंद पुराण में यमुना, अयोध्या, बद्रिकाश्रम, द्वारिका, कन्याकुमारी, जगन्नाथपुरी, काशी, रामेश्वर आदि तीर्थों का वर्णन देखने को मिलता है। तारकासुर वध और कार्तिकेय के जन्म की कथा का भी सुन्दर चित्रण किया गया है। इस पुराण में 81,100 श्लोक हैं।
वामन पुराण (Vamana Purana)
शिव लिंग की पूजा की विधि, गणेश की पूजा, भक्त प्रह्लाद, वामन अवतार, शिव लिंग की पूजा की विधि बताई गई है। इस पुराण में 10000 श्लोक हैं, हर पुराण की तरह इसकी रचना भी वेदव्यास ने संस्कृत में की।
कूर्म पुराण (Kurma Purana)
कूर्म पुराण में विष्णु की दिव्य लीला, वामन अवतार, वर्णाश्रम धर्म, प्रलय काल, यादववंश का उल्लेख मिलता है। पाप नाश करने वाले व्रतों के बारे में भी विस्तृत जानकारी उपलब्ध है, कूर्म पुराण (Kurma Purana) में कुल 18000 श्लोक हैं।
मत्स्य पुराण (Matsya Purana)
मत्स्य पुराण में कुल 14000 श्लोक हैं, जिनमें व्रत, दान, तीर्थयात्रा, यज्ञों की महिमा, मनु संवाद, जलप्रलय, तीर्थयात्रा, प्रयाग माहात्म्य, त्रिदेवों की महिमा, नव गृह, तीनों युगों का विवरण, तारकासुर वध, सवित्री कथा आदि है।
गरुड़ पुराण (Garuda Purana)
गरुड़ पुराण में वैराग्य, निःस्वार्थता, सदाचार, शुभ कर्म, तीर्थ, दान, स्वर्ग और नरक, ज्योतिष, धर्मशास्त्र और योग का विवरण भी मिलता है। इस ग्रंथ में 19000 श्लोक हैं। यह विष्णु भक्ति पर आधारित प्रमुख पुराण है।
ब्रह्माण्ड पुराण (Brahmanda Purana)
ब्रह्माण्ड पुराण के श्लोकों की संख्या 12000 है, इसमें आपको चंद्रवंशी और सूर्यवंशी राजाओं, सृष्टि के जन्म, सात काल, खगोल शास्त्र के बारे में पढ़ने को प्राप्त होता है। यह पुराण बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें विज्ञान की भी भूमिका है।
FAQs
पहला पुराण कौन सा है?
पहला पुराण ब्रह्म पुराण है।
सबसे बड़ा पुराण सभी पुराणों में कौन सा है?
सभी पुराणों में सबसे बड़ा पुराण स्कन्द पुराण है।
पुराण के लेखक कौन है?
पुराण के लेखक है – वेध व्यास जी।
कौन सा पुराण पढ़ना चाहिए?
गरुड़ पुराण पढ़ना ही चाहिए।
लेख के बारे में
आज के इस लेख में हमने आपको हिन्दू धर्म में कितने पुराण हैं, पुराण कितने प्रकार के होते हैं के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख पुराण कितने प्रकार के होते हैं – Puran Kitne Prakar Ke Hote Hain अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करे।