Pradosh Kaal Ka Samay Kya Hota Hai: भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत में विशेष मुहूर्त में पूजा की जाती है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस समय पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। प्रदोष काल यानी शाम के समय शिव शंभु की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-संपदा आती है।
शिव पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। इस दौरान शिवलिंग का अभिषेक करने से आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है और विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
प्रदोष काल का समय क्या होता है और कब तक (Pradosh Kaal Ka Samay Kya Hota Hai)
प्रदोष काल, दिन के अंत और रात की शुरुआत के बीच का समय है। सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के समय को प्रदोष काल कहा जाता है।
प्रदोष काल में की गई शिव पूजा कई गुना अधिक फलदायी होती है। इस पूजा का महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब यह त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत के दिन की जाती है।
प्रदोष काल के बारे में मान्यता है कि इस काल में विष पीने के कारण महादेव नीलकंठ कहलाये। प्रदोष काल के बारे में यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं।
प्रदोष काल में क्या किया जाता है?
प्रदोष काल में महादेव भोले शंकर की पूजा – अर्चना की जाती है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय होता है।
प्रदोष काल का महत्व (Pradosh Kaal Ka Mahtav)
प्रदोष काल को भगवान शिव की आराधना का समय माना जाता है। यह काल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। इस दौरान उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक और धार्मिक प्रगति होती है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत के लाभ (Pradosh Vrat Ke Labh)
- प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है। तनाव से मुक्ति मिलती है। बिगड़े काम बन जाते हैं. घर-परिवार में सुख-शांति और धन-संपदा में वृद्धि होती है।
- जो लोग निःसंतान हैं। इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से उन्हें जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है।
- जो लोग शत्रुओं से परेशान रहते हैं। उन्हें प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से शत्रु परास्त होते हैं।
- जिनकी कुंडली में कोई ग्रह दोष हो। उन्हें भी यह उत्तम व्रत करना चाहिए। ऐसा करने से ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं।
FAQs For Pradosh Kaal Ka Samay
प्रदोष काल का समय क्या होता है?
प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय है।
लेख के बारे में
आज के इस लेख में हमने आपको प्रदोष काल का समय क्या होता है (Pradosh Kaal Ka Samay Kya Hota Hai) के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख प्रदोष काल का समय अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।