Nindak Niyare Rakhiye Aangan Kuti Chhawaye Meaning In Hindi: कबीर जी के दोहे जग प्रसिद्ध है। कबीर दास जी केवल संत ही नहीं थे बल्कि वे एक विचारक और समाज सुधारक भी थे। वे हिंदी साहित्य के ऐसे कवि थे, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज में फैली भ्रांतियों और बुराइयों पर प्रहार किया। उन्होंने अपने दोहों के जरिए जीवन जीने की कई सीख दी है। उनके दोहे बहुत ही सरल भाषा में होते है, जिसके कारण उन दोहों को कोई भी आसानी से समझ सकता है। संत कबीर दास जी के दोहों ने लोगों पर बहुत प्रभाव डाला है। आज भी उनके दोहे मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं। तो आइए जानते है ऐसे ही एक दोहे के बारे में –
निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय पूर्ण दोहा (Nindak Niyare Rakhiye Full Doha In Hindi)
निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
या
निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पाँणीं बिना, निरमल करै सुभाइ॥
निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय बिन पानी साबुन बिना का मतलब (Nindak Niyare Rakhiye Meaning In Hindi)
निंदक नियरे राखिए का पहले हम अर्थ जानेंगे, उसके बाद इसकी व्याख्या करेंगे।
अर्थ –
निंदक – ऐसा व्यक्ति जो आपकी निंदा करके आपके अवगुणों को बताता हो, निंदक कहलाता है।
नियरे राखिए – पास या समीप रखना / रखे
ऑंगन – आंगन में।
कुटी छवाय – पेड़-पौधों की छाया
बिन पानी – बिना पानी के
बिना साबुन – बीना साबुन के
निर्मल करे सुभाय – जो स्वभाव को शुद्ध और निर्मल कर देता हो।
व्याख्या –
कबीर साहेब जी की वाणी के अनुसार – जिस तरह हम शीतल छाया के लिए कुटिया (झोपड़ी) के सामने आँगन में एक वृक्ष लगाते या रखते है, उसी प्रकार हमें निंदक को भी अपने पास रखना चाहिए क्योंकि वह बिना जल और साबुन के हमारे स्वभाव को स्वच्छ और सरल बना देता है।
निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय का अर्थ या मतलब है – निंदा करने वाले को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्योकि उसी व्यक्ति से हमे अपनी गलतियों और कमियों के बारे में पता चलता है। जिससे हम अपनी गलतियों और कमियों में सुधारकर अपने स्वभाव को स्वच्छ और सरल बना सकते हैं।
निंदक का कार्य होता है, निंदा करना, आलोचना करना। इसलिए निंदक हमारे स्वभाव को (हमारी गलतियों और कमियों को बताकर) बिना साबुन और पानी के स्वच्छ बना देता है।
आज के समय में जो हमारी आलोचना करता है मतलब बुराई करता है। हम उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते और उसे अपने पास से हटा देते हैं या खुद ही दूर हो जाते हैं।
लेकिन कबीर दास जी कहते हैं कि जो हमारी आलोचना करता है उसे अपने साथ रखना चाहिए क्योंकि उसी से हमें अपनी गलतियों के बारे में पता चलता है, जिसे सुधारकर हम अपने स्वभाव को साफ और सरल बना सकते हैं।
FAQs
निंदक नियरे राखिए का अर्थ क्या है?
निंदा करने वाले को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्योकि उसी व्यक्ति से हमे अपनी गलतियों और कमियों के बारे में पता चलता है। जिससे हम अपनी गलतियों और कमियों में सुधारकर अपने स्वभाव को स्वच्छ और सरल बना सकते हैं।
निंदक को कहाँ रखने की बात कही गई है?
निंदक को अपने पास या समीप रखना चाहिए।
निंदक का अर्थ क्या है?
निंदक का अर्थ है – आलोचक, जो निंदा करता हो।
निंदक को अपने पास रखने से क्या लाभ होता है?
निंदक को अपने पास रखने से हमे अपने अवगुणों से परिचित हो जाते है और अपने स्वभाव में सुधार ला सकते है।
लेख के बारे में
आज इस लेख के माध्यम से हमने आपको निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय बिन पानी साबुन बिना का हिंदी में मतलब क्या होता है इसके बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख निंदक नियरे राखिए मीनिंग इन हिंदी अच्छा लगा है तो इसे दोस्तों के साथ भी शेयर करे।