मुलेठी किस रोग की दवा है – भारतीय किचन में मौजूद मुलेठी को कई बीमारियों के लिए गुणों से भरपूर माना जाता है। मुलेठी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। आप मुलेठी को चूसकर या किसी और तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। यह शरीर की अंदरूनी चोट को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है। समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन करना चाहिए। मुलेठी का स्वाद चीनी से भी ज्यादा मीठा होता है।
मुलेठी, स्वाद में मीठी, कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका उपयोग सदियों से आंखों के रोग, मुंह के रोग, गले के रोग, पेट के रोग, सांस के विकार, हृदय रोग, घावों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। मुलेठी कफ और पित्त तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है।
मुलेठी किस रोग की दवा है (Mulethi Kis Rog Ki Dava Hai)
मुलेठी मुख्य रूप से सर्दी और फ्लू से राहत दिलाने का काम करती है लेकिन इसके और भी कई उपयोग और फायदे हैं। यह सूखी लकड़ी की तरह होता है और इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। मुलेठी में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो बहुत फायदेमंद होते हैं।
मुलेठी के फायदे (Mulethi Ke Fayde)
पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य के अनुसार मुलेठी के क्वाथ से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। मुलेठी की मूल चूर्ण में सौंफ का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम खाने से आंखों की जलन खत्म होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है। मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रुई भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों की लालिमा समाप्त हो जाती है।
उनके अनुसार मुलेठी कान और नाक के रोगों में भी लाभकारी है। मुलेठी और द्राक्षा का दूध पकाकर कान में डालने से कान के रोग में लाभ होता है। 3-3 ग्राम मुलेठी और शुंडी में छह छोटी इलायची और 25 ग्राम मिश्री मिलाकर कवाथ बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नाक के रोग दूर हो जाते हैं।
मुलेठी की जड़ के टुकड़े में शहद मिलाकर चूसने से मुंह के छाले में लाभ होता है। मुलेठी को चूसने से खांसी और गले के रोग भी दूर हो जाते हैं। सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा शहद के साथ दिन में 3 बार चाटनी चाहिए। इसका 20-25 मिलीलीटर कवाथ सुबह-शाम पीने से श्वास नली साफ हो जाती है। मुलेठी को चूसने से हिचकी भी दूर हो जाती है।
मुलेठी हृदय रोग में भी लाभकारी है। इसके सेवन से पेट के रोगों में भी आराम मिलता है। मुलेठी का कवाथ बनाकर 10-15 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से उदरशूल दूर होता है।
त्वचा रोगों के लिए भी यह फायदेमंद है। फोड़े पर मुलेठी का लेप लगाने से ये जल्दी पककर फूट जाते हैं।
मुलेठी का इस्तेमाल कैसे करे
मुलेठी की चाय – मुलेठी की चाय को गले के दर्द के लिए एक प्रभावी घरेलू उपाय बताते हैं। इसे बनाने के लिए 1 कप उबलते पानी में एक छोटी मुलेठी की जड़ डालें और उसमें कद्दूकस किया हुआ अदरक डालें और धीमी आंच पर कुछ मिनट के लिए पकने दें। इस मिश्रण को छान लें और टी बैग डालकर पिएं।
मुलेठी का काढ़ा – सर्दी जुकाम से बचने के लिए आप मुलेठी का काढ़ा भी पी सकते हैं। यह एक बेहतरीन आयुर्वेदिक उपाय है, जिसके सेवन से फेफड़ों के रोग, खांसी, गले का संक्रमण, कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। काढ़ा बनाने के लिए एक चौथाई चम्मच मुलेठी पाउडर, एक चुटकी दालचीनी पाउडर, एक चुटकी काली मिर्च पाउडर और कुछ तुलसी के पत्तों को 1 गिलास पानी में उबालें। आधा रह जाने पर इस मिश्रण को छान लें और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार पिएं।
मुलेठी की जड़ चबाएं – मुलेठी की जड़ सर्दियों में होने वाली खांसी को ठीक करने का एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। इसके लिए आप कच्ची मुलेठी की जड़ को चबा सकते हैं। मुलेठी की जड़ चबाने से खांसी और गले के दर्द में तुरंत आराम मिलता है।
मुलेठी के नुकसान (Mulethi Ke Nukshan)
मुलेठी आमतौर पर सीमित मात्रा में खाने पर शरीर के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन अगर आप हाई बीपी, शुगर, किडनी, दिल या लिवर से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं तो बिना डॉक्टरी सलाह के मुलेठी (Mulethi) का सेवन न करे।
उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह, एस्ट्रोजेन-संवेदनशील विकार, गुर्दे, हृदय या यकृत और मासिक धर्म की समस्याओं जैसी चिकित्सीय स्थितियों वाले लोगों द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
मुलेठी के अत्यधिक उपयोग से मांसपेशियों में दर्द, क्रोनिक थकान, सिरदर्द, सूजन, एडिमा, सांस की तकलीफ, जोड़ों में अकड़न और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन स्तर को कम व कमज़ोर कर सकती है।
मुलेठी का अधिक मात्रा में सेवन करने से पोटैशियम की कमी, हाई ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है। किडनी, मधुमेह और गर्भवती महिलाओं को डॉक्टरी सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।
जो लोग मूत्रवर्धक या हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हैं, उन्हें मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए।
मुलेठी के अधिक सेवन से सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पुरानी थकान, सूजन, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
FAQs For Mulethi Kis Rog Ki Dawa Hai
मुलेठी की तासीर क्या है?
मुलेठी की तासीर ठंडी है।
क्या मुलेठी को दूध के साथ लिया जा सकता है?
हाँ मुलेठी को दूध के साथ लिया जा सकता है।
लेख के बारे में
आज के इस लेख में हमने आपको मुलेठी किस रोग की दवा है, मुलेठी के फायदे और नुकसान के बारे में बताया है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख मुलेठी अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।