Warning: Uninitialized string offset 0 in /home/webhhehb/bhagymat.in/wp-includes/html-api/html5-named-character-references.php on line 1

Warning: Uninitialized string offset 0 in /home/webhhehb/bhagymat.in/wp-includes/html-api/html5-named-character-references.php on line 1
गाउट क्या है, गाउट क्या होता है - Gout In Hindi - Gout Kya Hota Hai

गाउट क्या है, गाउट क्या होता है हिंदी में – Gout Kya Hota Hai In Hindi

Gout In Hindi: जिस तरह खून में शुगर या कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से आपको कई गंभीर और जानलेवा समस्याओं का खतरा रहता है, उसी तरह यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ना भी स्वास्थ्य के लिए खतरा है। यूरिक एसिड एक गंदा पदार्थ है जो आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से शरीर में जमा हो जाता है जिनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है।

वैसे तो यूरिक एसिड पेशाब के जरिए बाहर निकल जाता है, लेकिन जब यह बाहर नहीं निकल पाता तो यह छोटी-छोटी पथरी का रूप ले लेता है और जोड़ों या किडनी में इकट्ठा हो जाता है। इसका स्तर बढ़ने से दर्दनाक गाउट रोग हो जाता है और कभी-कभी यह गुर्दे में पथरी का कारण भी बन जाता है। इतना ही नहीं, यह किडनी, हड्डी व दिल को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

आज के इस लेख में हम आपको गाउट क्या है, गाउट क्या होता है, गाउट के कारण, गाउट के लक्षण और गाउट के उपचार आदि के बारे में जानकारी देने वाले है, तो आइये जानते है –

गाउट क्या होता है इन हिंदी (Gout Kya Hota Hai In Hindi)

गठिया को राजाओं का रोग या राजाओं वाली बीमारी कहा जाता है, यह एक प्रकार का गठिया रोग है, जिसमें जोड़ों के अंदर सोडियम यूरेट क्रिस्टल बनने लगते हैं। यह बीमारी 30 साल की उम्र के बाद होती है। यह बीमारी घुटनों के आसपास यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होने के कारण होती है। यह बहुत धीमी प्रक्रिया है। यह अधिकतर मोटे और उच्च रक्तचाप या मधुमेह से पीड़ित लोगों में पाया जाता है। इसे “शाही रोग” भी कहा जाता है।

यह रोग तब होता है जब रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। यूरिक एसिड हमारे शरीर की विभिन्न चयापचय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होता है, जो कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों से उत्पन्न होता है। इस बीमारी को मेडिकल भाषा में गाउट के नाम से जाना जाता है।

आम तौर पर, यूरिक एसिड मूत्र उत्सर्जन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन कुछ लोगों में यूरिक एसिड बहुत अधिक मात्रा में बनता है और जो पेशाब के जरिए उसी अनुपात में शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है। अक्सर यह बढ़ा हुआ यूरिक एसिड विविध जोड़ों के आसपास नुकीले सुई जैसे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा हो जाता है, जिससे उस जोड़ के आसपास सूजन, तेज दर्द होने लगता है। आयुर्वेद में इस रोग को वात-रक्त के नाम से जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि इसकी उत्पत्ति में वायु व रक्त की भूमिका की वजह से इसे वात-रक्त (Vaat-Rakt) के नाम से जाना जाता है।

जो मरीज़ ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़े हुए स्तर से पीड़ित हैं, उनमें इस बीमारी के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यह बीमारी उच्च रक्तचाप और मोटापे से पीड़ित लोगों में भी अधिक देखी जाती है। किडनी की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीज भी इस बीमारी से पीड़ित पाए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक्स, मूत्रवर्धक दवाएं, कीमोथेरेपी भी इस बीमारी के विकसित होने में अहम भूमिका निभाते हैं।

महिलाओं में यह रोग पुरुषों की तुलना में कम होता है क्योंकि महिला प्रजनन चक्र के दौरान निकलने वाला महिला हार्मोन एस्ट्रोजन किडनी के माध्यम से यूरिक एसिड के उत्सर्जन को बढ़ा देता है और शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा नहीं बढ़ती है।

गाउट के कारण (Gout Ke Karan)

नमकीन, खट्टे, मसालेदार, नमकीन, चिकने और गर्म खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन। रात्रि में नियमित रूप से भोजन करना। पिछला भोजन पचने से पहले दोबारा भोजन करना। सड़ा हुआ और सूखा मांस खाना। जलीय जंतुओं का मांस खाना।

अरबी, आलू, मूली, जम्हकंद जैसी जड़ वाली सब्जियों का अधिक सेवन करना। कुल्थी, उड़द, सेम, गन्ना तथा चीनी, गुड़, इनसे बनी मिठाइयों का अंधाधुंध सेवन। दही, कांजी, सिरका, मट्ठा, शराब आदि का अनियंत्रित सेवन।

अधिक गुस्सा आना, दिन में सोने की आदत और रात को जागना।

गाउट के लक्षण (Gout Ke Lakshan)

सबसे पहले आधी रात के समय पैर के एक अंगूठे में अचानक दर्द और सूजन। उस भाग में लालिमा होने के कारण तेज दर्द होने से रोगी नींद से जाग जाता है। कुछ रोगियों को एड़ी और टखनों में भी तेज दर्द महसूस होता है। यह दर्द घुटनों, कलाइयों, कोहनियों, उंगलियों में भी हो सकता है।

गाउट का उपचार (Gout Ka Upchar)

सुबह बिस्तर से उठते ही बिना कुल्ला किए करीब दो से चार गिलास पानी पिएं। बढ़े हुए यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए यह प्रयोग अनोखा है। शुरुआत में एक गिलास पानी से शुरुआत कर सकते हैं। इसे जापानी सिकनेस एसोसिएशन ने ‘वॉटर थेरेपी’ नाम दिया है। दिन भर में आठ से दस गिलास पानी पीना बहुत जरूरी है।

यूरिक एसिड बढ़ने पर गिलोय का इस्तेमाल सबसे अच्छा माना जाता है। इसलिए गिलोय का ताजा रस, चूर्ण, काढ़ा का सेवन करना चाहिए। अगर गिलोय के साथ अरंडी के तेल का भी सेवन किया जाए तो इससे जल्दी लाभ मिलता है।

भोजन के तुरंत बाद पेशाब अवश्य करना चाहिए। नियमित रूप से ऐसा करने से यूरिक एसिड नहीं बढ़ता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह साधारण सा दिखने वाला प्रयोग कई प्रकार के मूत्र विकारों, पथरी आदि से भी बचाता है और किडनी लंबे समय तक स्वस्थ और मजबूत रहती है। इससे भोजन का पाचन भी सुचारू रूप से होता है और शरीर में हल्कापन आता है।

गाउट में किन चीजों का करे सेवन?

गाउट में ये चीजें न खाएं – बिस्कुट, बेकरी उत्पाद जैसे ब्रेड, हरी मटर, पालक, कुलथी दाल, बीन्स, फ्रेंच बीन्स, मशरूम, पनीर, बैंगन, सूखा नारियल, सूखे मेवे, सोयाबीन, खमीर आटा, अरबी, सत्तू, कस्टर्ड, मूली, अचार, चाय, सूखे दूध, कॉफी, कांजी, अंडा, मांस, सूखा मांस, मछली, शराब, पान, तिल, फास्ट फूड जैसे पिज्जा, हॉट डॉग, बर्गर, मोमोज, चाउमीन, स्प्रिंगरोल आदि कांजी, उड़द, बाजरा, गरिष्ठ आहार जैसे पक्वान्न, मिठाईयां, पापड़। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, जिनमें प्यूरीन पाया जाता है जैसे दालें, दलिया, पालक, शतावरी, मशरूम, पत्तागोभी।

गाउट में ये चीजें खाएं – अन्न-गेहूं, चावल, मूंग, चना, जौ, मसूर, मोठ, अरहर, लाल चावल, फल-चेरी, अनानास, संतरा, पपीता, किशमिश, आंवला, ताजा घी (नवीन घृत), ताजा दूध (बिना पैकेट वाला), चैलाई, करेला, शाक बथुआ, अदरक, परवल, मकोय, फल। लहसुन, प्याज, आंवला, आलू, जमीकंद, कूष्मांड, नमक, अमचूर पाउडर, टमाटर, सिरका, नींबू का रस, दही, लस्सी जो खट्टी न हो, आलू।

लेख के बारे में

आज के इस लेख में हमने आपको गाउट क्या है, गाउट क्या होता है – Gout Kya Hai In Hindi के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख गाउट इन हिंदी (Gout In Hindi) अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करे।

Leave a Comment