Dooj Kab Hai 2024: हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र महीने से होती है। चैत्र मास को हिन्दू पंचांग का प्रथम मास कहा जाता है। हिंदू नववर्ष को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी कलैण्डर नववर्ष की तिथि 1 जनवरी निश्चित है लेकिन हिन्दू नववर्ष की तिथि प्रत्येक वर्ष बदलती रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर की तरह हिंदू कैलेंडर में भी साल में 12 महीने होते हैं। ये 12 महीने है – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन। जिस तरह महीने होते है उसी तरह तिथियां भी होती है। ये तिथियां है – प्रतिपदा (पड़वा, एकम), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और पूर्णिमा (पूरनमासी, पूर्णमासी), अमावस्या (अमावस)। तो आइये जानते है द्वितीया कब है, दूज कब की है (Dooj Kab Ki Hai) –
दूज कब है 2024 (Duj Kab Hai 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार अभी पौष महीना चल रहा है। वही अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी महीना चल रहा है। जनवरी महीने में कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 27 जनवरी 2024 शनिवार, वही शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 13 जनवरी 2024 शनिवार को है।
माघ कृष्ण पक्ष की द्वितीया यानी दूज तिथि – 27 जनवरी 2024, शनिवार
पौष शुक्ल पक्ष की द्वितीया यानी दूज तिथि – 13 जनवरी 2024, शनिवार
हिंदू कैलेंडर के महीने (Hindu Calendar Months In Hindi)
हिंदू कैलेंडर के 12 महीने है – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।
हिंदू कैलेंडर की तिथियाँ (Hindu Calendar Tithi In Hindi)
हिंदू कैलेंडर की तिथियाँ है – प्रतिपदा (पड़वा, एकम), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और पूर्णिमा (पूरनमासी, पूर्णमासी), अमावस्या (अमावस)।
आश्विन महीने के बारे में (Ashwin Month In Hindi)
आश्विन माह शरद ऋतु के अंत और हेमंत ऋतु की शुरुआत के बीच होता है। दोनों ही मौसम बहुत अच्छे माने जाते हैं जब गर्मी कम होने लगती है और राहत महसूस होती है। 29 सितंबर, शुक्रवार को श्राद्ध यानी पितृ पक्ष के साथ आश्विन मास शुरू हो जाएगा। अब से हर श्राद्ध की तिथि नोट कर लें और निर्धारित तिथि पर अपने पितरों को याद करके श्राद्ध मनाएं।
श्राद्ध समाप्ति के अगले ही दिन यानी 15 अक्टूबर रविवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएंगे, जिसमें प्रतिपदा के दिन शुभ मुहूर्त देखकर घट स्थापना की जाएगी। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा की जाती है। अगर आप पूरे नवरात्रि व्रत रखते हैं तो आपको दशमी के दिन कन्या पूजन करने के बाद ही पारण करना चाहिए।
आश्विन मास का महत्व (Importance Of Ashwin Month In Hindi)
आश्विन मास देवताओं और पितरों की पूजा के लिहाज से सबसे खास माना जाता है। इस माह को दो भागों में बांटा गया है। कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार में खुशहाली आती है और पूर्वज प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
जबकि द्वितीय शुक्ल पक्ष मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। 9 दिनों तक देवी की पूजा करने से हर समस्या का नाश होता है। फिर दशहरे के दिन श्री राम की पूजा की जाती है और रावण का दहन किया जाता है। आश्विन मास का समापन शरद पूर्णिमा को होता है। इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं।
FAQs For Duj Kab Ki Hai
हिन्दुओं का अभी कौन सा महीना चल रहा है?
हिन्दुओं का अभी पौष महीना चल रहा है।
लेख के बारे में
आज के लेख में हमने आपको द्वितीया तिथि कब है, दूज तिथि कब है के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख दूज कब की है (Dooj Kab Hai) अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख दूज तिथि किस दिन है अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।