What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi: आज इस पोस्ट में हमने डिजिटल कंप्यूटर के बारे में विस्तार से बताया है, जिसमें डिजिटल कंप्यूटर क्या है, डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार, डिजिटल कंप्यूटर की विशेषताएं, कंप्यूटर का वर्गीकरण और कंप्यूटर का इतिहास क्या है? आदि विषयों आदि के बारे में जानकारी साझा की है, तो चलिए शुरू करते हैं और सबसे पहले जानते हैं कि डिजिटल कंप्यूटर क्या होता है?
आपने ज्यादातर पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) या कंप्यूटर सिस्टम के बारे में सुना होगा, लेकिन जो लोग कंप्यूटर सिस्टम के साथ काम करते हैं, वे विभिन्न तरह की कंप्यूटरों के बारे में जानते होंगे।। डिजिटल कंप्यूटर भी उन्हीं कंप्यूटरों में से एक हैं।
What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi
Included
- डिजिटल कंप्यूटर क्या है?
- डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार
- कंप्यूटर का वर्गीकरण
- डिजिटल कंप्यूटर के भाग
- डिजिटल कंप्यूटर की विशेषताएं
- डिजिटल कंप्यूटर के उपयोग
- डिजिटल कंप्यूटर के लाभ
- डिजिटल कंप्यूटर के नुकसान
- कंप्यूटर का इतिहास
- कंप्यूटर की पीढियां
- प्रश्नोत्तरी
What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi
डिजिटल कंप्यूटर क्या है | Digital Computer In Hindi
डिजिटल कंप्यूटर एक डिजिटल सिस्टम है जो विभिन्न कम्प्यूटेशनल कार्य करता है। डिजिटल शब्द का अर्थ है कंप्यूटर में जानकारी को वेरिएबल्स द्वारा दर्शाना, जो की ये सीमित संख्या होती हैं और कंप्यूटर शब्द का अर्थ संगणक या गणना करना है, इसलिए आम बोलचाल में इसे एक गणना उपकरण (कैल्कुलेटिंग डिवाइस) माना जाता है। डिजिटल कंप्यूटर में इनपुट के रूप में दिए गए विवरण को डेटा कहा जाता है। डिजिटल कंप्यूटर से प्राप्त आउटपुट परिणाम को अक्सर सूचना या जानकारी कहा जाता है। एक डिजिटल कंप्यूटर इनपुट डेटा लेता है, इसे प्रोसेस करता है, फिर आउटपुट डिवाइस पर सूचना या परिणाम प्रदर्शित करता है।
वर्तमान समय में कंप्यूटर की परिभाषा बदल गई है क्योंकि अब कंप्यूटर का उपयोग केवल गणना करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका उपयोग कई अन्य क्षेत्रों जैसे वीडियो, संगीत, ग्राफिक्स, इंटरनेट कार्य आदि में भी बहुत आसानी से किया जा रहा है। इसलिए इसे अब इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कहा जाता है।
डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग पूरी दुनिया में किया जाता है और यह एक बहुत ही शक्तिशाली उपकरण है और सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। यह एक मशीन या डिवाइस है जो किसी भी प्रकार की डेटा जानकारी को मशीनी भाषा में परिवर्तित करके संसाधित करता है। इस डिवाइस के माध्यम से जब भी हम कंप्यूटर में कुछ डेटा इनपुट करते हैं, तो यह हमें कुछ ही सेकंड में आउटपुट देता है।
डिजिटल कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें दो अंक होते हैं – 0 और 1। कंप्यूटर में डेटा की सबसे छोटी इकाई बिट होती है। बाइनरी डिजिट को बिट कहा जाता है। डिजिटल कंप्यूटर में सूचनाओं को बिट्स के समूहों में दर्शाया जाता है।
पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर 1940 के दशक के अंत में खोजा गया था और इसे मुख्य रूप से संख्यात्मक गणना के लिए डिज़ाइन किया गया था। कंप्यूटर में जो भी शब्द लिखे जाते हैं, कंप्यूटर उसे बाइनरी भाषा में बदल देता है, इसी वजह से कंप्यूटर और इंसान एक दूसरे से संवाद करते हैं। डिजिटल कंप्यूटर के कुछ बुनियादी उदाहरण पर्सनल कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप, स्मार्टफोन, मोबाइल, डिजिटल वॉच, कैलकुलेटर आदि हैं।
डिजिटल कंप्यूटर में मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –
Input: जब भी उपयोगकर्ता सामान्य रूप से डिवाइस में डेटा टाइप करता है, इसे इनपुट के रूप में जाना जाता है।
Processing: उपयोगकर्ता द्वारा इनपुट किए गए डेटा को परिभाषित अनुक्रम का उपयोग करके डिवाइस के आंतरिक भाग में संसाधित किया जाता है।
Output: जब डेटा पूरी तरह से प्रोसेस हो जाता है, तो इनपुट के आधार पर आउटपुट परिणाम उपयोगकर्ता को दिखाया जाता है।
डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार
डिजिटल कंप्यूटर एक ऐसा उपकरण है जिसे वांछित आउटपुट प्राप्त करने के लिए प्रोग्राम करने की आवश्यकता होती है। यह कई अलग-अलग प्रकार के डेटा को उत्पन्न करने, स्टोर करने और प्रोसेस करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तकनीक का उपयोग करता है। डिवाइस के आकार और प्रकार के आधार पर डिजिटल कंप्यूटर को निम्नलिखित चार श्रेणियों में बांटा गया है।
- Microcomputer
- Minicomputer
- Mainframe computer
- Supercomputer
माइक्रो कंप्यूटर
माइक्रो कंप्यूटर को आमतौर पर पर्सनल कंप्यूटर कहा जाता है। माइक्रो कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर होते हैं जिनका उपयोग अपने लिए सामान्य कार्य करने के लिए करते हैं। आजकल माइक्रो कंप्यूटर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल छोटे से लेकर बड़े बिजनेस और अपने निजी काम में किया जा रहा है।
ये कंप्यूटर माइक्रोप्रोसेसर पर काम करते हैं। इसके तहत इनपुट यूनिट/आउटपुट यूनिट, स्टोरेज यूनिट, मदरबोर्ड और सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) अन्य उपकरण हैं। इस कंप्यूटर का आकार छोटा होता है और साथ ही इसकी कीमत भी कम होती है। पेंटियम माइक्रोप्रोसेसर के आधार पर आईबीएम पीसी, डेल, एचपी, एप्पल मैकिंटोश माइक्रो कंप्यूटर के उदाहरण हैं। माइक्रो कंप्यूटर में कंप्यूटर या लैपटॉप, डेस्कटॉप कंप्यूटर, नोटबुक, हैंडहेल्ड कंप्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट डिवाइस शामिल हैं।
मिनी कंप्यूटर
एक मिनीकंप्यूटर एक मध्यम आकार का मल्टीप्रोसेसिंग कंप्यूटर है जिसे मिड-रेंज कंप्यूटर के रूप में जाना जाता है। इसमें दो या दो से अधिक प्रोसेसर होते हैं, इसलिए यह समान कंप्यूटर मेमोरी और पेरीफेरल डिवाइस को कई उपयोगकर्ताओं के साथ साझा कर सकते है। इसमें माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक प्रोसेस क्षमता है लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम है।
मिनी कंप्यूटर मेनफ्रेम कंप्यूटर और माइक्रो कंप्यूटर के बीच स्थित होता है क्योंकि यह माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा होता है लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से छोटा होता है। मिनीफ्रेम कंप्यूटर ज्यादातर बड़े संस्थानों, यातायात नियंत्रण क्षेत्रों, विभागीय बिलिंग, बैंकों, बड़ी कंपनियों, अकाउंटिंग, डेटाबेस प्रबंधन, फ़ाइल प्रबंधन, व्यापार लेनदेन और इन्वेंट्री प्रबंधन जैसे कामो में उपयोग किए जाते हैं। मिनी कंप्यूटर के उदाहरण- DEC PDP, VAX Series, Apple iPad, IBM’s AS/400e, Honeywell200 आदि।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर
मेनफ्रेम कंप्यूटर आमतौर पर आकार में बहुत बड़े होते हैं। इन्हें रखने के लिए अलग कमरा या अलग जगह चाहिए। यह मुख्य रूप से बहुत बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेसिंग के लिए उपयोग किया जाता है और इसकी डेटा स्टोर क्षमता बहुत अधिक होती है। मेनफ्रेम कंप्यूटर उच्च स्तर की विश्वसनीयता के लिए भी जाने जाते हैं। मेनफ्रेम कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर और मिनी कंप्यूटर से बड़े होते हैं और अधिक शक्तिशाली होते हैं और उनकी प्रसंस्करण क्षमता बहुत तेज होती है। लेकिन ये कंप्यूटर सुपर कंप्यूटर से ज्यादा शक्तिशाली नहीं होते हैं।
मेनफ्रेम कंप्यूटर इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि सैकड़ों या हजारों उपयोगकर्ता इसे एक साथ एक्सेस कर सकें। इसका मतलब है कि विभिन्न प्रक्रियाओं को एक साथ निष्पादित किया जा सकता है। इस प्रकार के कंप्यूटर का उपयोग बड़े संगठनों जैसे बैंकिंग, दूरसंचार क्षेत्र, बड़ी उद्योग कंपनियों, सरकारी विभागों और विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। मेनफ्रेम कंप्यूटर उदाहरण- IBM zSeries जैसे IBM z15, IBM z14, IBM System z13 आदि।
सुपर कंप्यूटर
सुपरकंप्यूटर जैसा कि आप इसके नाम से ही समझ गए होंगे कि यह बहुत तेजी से काम करता है। सुपर कंप्यूटर दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे तेज और सबसे महंगा कंप्यूटर है। यह एक बहुत ही उन्नत कंप्यूटर है और इस कंप्यूटर में हजारों प्रोसेसर मौजूद हैं, जो प्रति सेकंड खरबों गणनाएं करता है, इसलिए इसकी कार्य करने की क्षमता अन्य कंप्यूटरों की तुलना में सबसे अधिक है।
यह कंप्यूटर उद्योग में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे कई कंप्यूटरों का संयोजन भी कहा जा सकता है जो Parallel में डेटा प्रोसेसिंग करते हैं। सुपर कंप्यूटर का उपयोग जटिल कंप्यूटर से संबंधित कार्यों जैसे वैज्ञानिक क्षेत्र, उपग्रह या अंतरिक्ष विभाग, मौसम पूर्वानुमान और जलवायु परीक्षण, परमाणु ऊर्जा अनुसंधान, तेल और गैस निगरानी, शिक्षा क्षेत्र, इंजीनियरिंग क्षेत्र आदि को करने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। PARAM भारत में C-DAC द्वारा विकसित स्वदेशी सुपर कंप्यूटरों की एक श्रृंखला है। भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का नाम “परम 8000” (Parallel) है और इस श्रृंखला में बने नवीनतम सुपर कंप्यूटर का नाम “परम-सिद्धि एआई” है, जो दुनिया के शीर्ष 500 सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों की सूची में भारत को 63 वें स्थान पर रखता है। दुनिया के सबसे तेज़ कंप्यूटरों के उदाहरण सिएरा (यूएस), सनवे ताइहुलाइट (चीन), फ्रोंटेरा (यूएस) और समिट (यूएस) आदि हैं।
कंप्यूटर का वर्गीकरण
कंप्यूटर को कार्य, आकार और क्षमता के आधार पर एनालॉग, डिजिटल और हाइब्रिड कंप्यूटरों में वर्गीकृत किया जाता है। प्रत्येक श्रेणी का उपयोग अपने विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है और इसका अपना महत्व होता है।
एनालॉग कंप्यूटर
एनालॉग कंप्यूटर मुख्य रूप से विद्युत संकेतों के साथ-साथ वोल्टेज और करंट पर आधारित होते हैं और लगातार आउटपुट दिखाते हैं। एनालॉग कंप्यूटर आमतौर पर डिजिटल कंप्यूटर की तुलना में धीमे होते हैं। उदाहरण के लिए, थर्मामीटर, वोल्टमीटर, स्पीडोमीटर। ये कंप्यूटर डेटा को स्टोर करते हैं और डिजिटल कंप्यूटरों की तुलना में बहुत अलग तरीके से गणना करते हैं जो डेटा डिस्प्ले के लिए प्रतीकात्मक तरीकों का उपयोग करते हैं।
डिजिटल कम्प्यूटर
डिजिटल कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर होते हैं जो डेटा पर बाइनरी फॉर्म यानी 0 और 1 अंक में काम करते हैं। इसका मुख्य लाभ यह है कि वे त्वरित और पुन: प्रोग्राम करने योग्य हैं। इसी तरह के कंप्यूटर वर्तमान में प्रचलन में हैं, जिनमें से कुछ उदाहरण स्मार्टफोन, टैब, लैपटॉप और कैलकुलेटर हैं।
हाइब्रिड कंप्यूटर
हाइब्रिड कंप्यूटर किसी विशेष कार्य को करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं, ये कंप्यूटर अधिक विश्वसनीय होते हैं और इनमें कई गुण होते हैं। यह एनालॉग और डिजिटल दोनों कंप्यूटरों से बना है, इसलिए इसे हाइब्रिड कंप्यूटर कहा जाता है। आमतौर पर वैज्ञानिक अनुप्रयोगों, हवाई जहाज, बड़े उद्योगों और अस्पतालों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके कुछ उदाहरण यातायात नियंत्रण, चिकित्सा क्षेत्र, मौसम, अल्ट्रासाउंड मशीन, मॉनिटरिंग मशीन आदि हैं।
डिजिटल कंप्यूटर के भाग
कंप्यूटर में कितने पार्ट या कंपोनेंट होते हैं? डिजिटल कंप्यूटर में बुनियादी घटक निम्नलिखित हैं: –
इनपुट डिवाइस | Input Device
इनपुट डिवाइस आमतौर पर वे डिवाइस होते हैं जो सिस्टम से जुड़े होते हैं जैसे कि माउस, कीबोर्ड, प्रिंटर, माइक्रोफोन और स्कैनर आदि। उपयोगकर्ता इनपुट डिवाइस की मदद से सिस्टम को निर्देश देता है और कंप्यूटर इन निर्देशों को समझने के बाद कार्रवाई करता है, जिसके बाद कंप्यूटर इस इनपुट को बाइनरी लैंग्वेज में बदल देता है जिसे कंप्यूटर आसानी से समझ सकता है।
सी पी यू | CPU
सीपीयू सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है, जिसे कंप्यूटर का दिमाग माना जाता है क्योंकि यह पूरे कंप्यूटर सिस्टम को नियंत्रित करता है। जब उपयोगकर्ता इनपुट डिवाइस के माध्यम से इनपुट करता है, तो सीपीयू इसे प्रोसेस करता है, यानी सीपीयू कम्प्यूटेशनल कार्य करता है और फिर आउटपुट डिवाइस को परिणाम भेजता है। सीपीयू के अंदर कई अलग-अलग कंपोनेंट्स होते हैं। जिनके कार्य की अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं।
ALU | Arithmetic Logic Unit
इसका फुल फॉर्म अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट है, यह कंप्यूटर हार्डवेयर का एक डिजिटल सर्किट है। ALU का उपयोग मुख्य रूप से सभी अंकगणित, तार्किक और गणितीय गणनाओं के लिए किया जाता है, जिसमें जोड़, घटाव, गुणा और भाग शामिल हैं।
कंट्रोल यूनिट | Control Unit
कंट्रोल यूनिट का मुख्य कार्य डेटा और निर्देशों को नियंत्रित करना है। यह कंप्यूटर की सभी इकाइयों का प्रबंधन और समन्वय करता है। कंट्रोल यूनिट मेमोरी से निर्देश प्राप्त करता है, इंटरप्रेटस करता है, और फलस्वरूप इनपुट/आउटपुट उपकरणों को निर्देश भेजता है।
मेमोरी | Memory
कंप्यूटर का यह भाग मुख्य रूप से डेटा को स्टोर करने के लिए उपयोग किया जाता है, इसे “आंतरिक मेमोरी” (Internal Memory) भी कहा जाता है। आंतरिक मेमोरी को कई लोकेशन में विभाजित किया जाता है जो निर्देशों को संग्रहीत करते हैं। इनमें से प्रत्येक लोकेशन का एक यूनिक एड्रेस और समान साइज है। इस यूनिक एड्रेस की मदद से कंप्यूटर, मेमोरी में स्टोर किए गए डेटा को बिना पूरी मेमोरी लोकेशन सर्च किए आसानी से रीड कर लेता है। जब भी कोई प्रोग्राम रन करता है, डेटा आंतरिक मेमोरी में स्टोर होता है और निष्पादन के अंत तक रहता है।
आउटपुट डिवाइस | Output Devices
आउटपुट डिवाइस वे डिवाइस होते हैं जो कंप्यूटर से जुड़े होते हैं और इसके माध्यम से विभिन्न आउटपुट डिवाइस पर जानकारी को देख और एक्सेस कर सकते हैं। कंप्यूटर में बाइनरी डेटा को उस भाषा में परिवर्तित करता है जिसे कंप्यूटर उपयोगकर्ता आउटपुट डिवाइस पर समझ सकता है। कंप्यूटर में आउटपुट 0 और 1 के रूप में प्रदर्शित होता है जिसे कंप्यूटर भाषा में मशीनी भाषा कहा जाता है। कुछ आउटपुट डिवाइस के सामान्य उदाहरण हार्ड डिस्क, प्रोजेक्टर, मॉनिटर, प्लॉटर और प्रिंटर हैं।
डिजिटल कंप्यूटर की विशेषताएं
Memory Capacity: डिजिटल कंप्यूटर बड़ी मात्रा में डेटा या जानकारी को मेमोरी में स्टोर कर सकते हैं और एक सेकंड के भीतर डेटा को फिर से प्राप्त कर सकते हैं। डेटा या सूचना को किसी भी समय मेमोरी में संग्रहीत किया जा सकता है और इसे किसी भी समय पुनर्प्राप्त या वापस एक्सेस किया जा सकता है, जैसे हार्ड डिस्क, सॉलिड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, ऑप्टिकल डिस्क, आदि।
Very Flexible: ये कंप्यूटर बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के मल्टी-टास्किंग करते हैं यानी एक साथ कई कार्यों को संसाधित करते हैं, जैसे दस्तावेज़ प्रारूपण के दौरान एक पेज प्रिंट करना, संगीत सुनना, चैट करना आदि। इसलिए वे बहुत लचीले और बहुमुखी हैं।
Good Speed: डिजिटल कंप्यूटर बहुत तेज गति से काम करते हैं और सभी कार्यों या निर्देशों को तेज गति से एक पल में संसाधित करते हैं। यह किसी भी कार्य या निर्देश को एक सेकंड के अंश में हल कर सकता है।
Accuracy: ये उपकरण सभी सूचना डेटा को मेमोरी में संग्रहीत करने में सहायक होते हैं जो एक निश्चित समय पर जरूरत पड़ने पर सटीक डेटा प्राप्त करने में मदद करते हैं। कंप्यूटर बिना कोई गलती किए सभी सटीक गणना करता है। इसमें कोई गलती तभी आती है जब व्यक्ति द्वारा गलत इनपुट या निर्देश दिए गए हों।
Diligence: कंप्यूटर बिना थके लगातार कोई भी काम कर सकता है। इसमें कभी भी किसी प्रकार की कमजोरी या थकान नहीं होती है, जिससे यह बिना किसी गलती या रुकावट के लगातार कोई भी काम कर सकता है। इसलिए कंप्यूटर की इस क्षमता के कारण मानव कार्य प्रगति में काफी विकास हुआ है।
Automatic: ये उपकरण एक बार शुरू होने के बाद स्वचालित हो जाते हैं। जब तक कुछ विशेष रूप से आवश्यक कार्य न होने तक उन्हें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता न हो।
डिजिटल कंप्यूटर के उपयोग
इसका उपयोग गणितीय गणना, कम्प्यूटेशनल कार्य, अंतरिक्ष यान, स्वास्थ्य डोमेन, स्कूलों, कॉलेजों, बड़े या छोटे संगठनों, कारखानों आदि के लिए किया जाता है।
इसका उपयोग लगभग हर जगह फ़ोटो, संगीत, वीडियो, एप्लिकेशन, दस्तावेज़ और अन्य फ़ाइलों को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
औद्योगिक और विनिर्माण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए डिजिटल कंप्यूटरों का उपयोग किया जा रहा है।
कारखानों में, स्वचालित मशीनों को चलाने के लिए एक ही समय में कई कार्य किए जा सकते हैं।
यह बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर कर सकता है और उच्च गति से डेटा को पुनः प्राप्त कर सकता है।
उपयोगकर्ता बिना किसी हस्तक्षेप के मल्टीटास्किंग कार्य कर सकते हैं।
इसकी प्रोसेसिंग स्पीड बहुत अधिक होती है और यह कार्य को सेकंडों में पूरा कर लेता है।
डिजिटल कंप्यूटर के लाभ
डिजिटल कंप्यूटर आज के समय में कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डिजिटल कंप्यूटरों के कई फायदे हैं, जिसके कारण उन्हें आज इतना महत्वपूर्ण माना जाता है, तो वे कौन से फायदे हैं, आइए जानते हैं -:
डिजिटल कंप्यूटर की गति बहुत अधिक होती है, जिसके कारण यह उपयोगकर्ता के कार्यों को जल्दी और आसानी से करने में सक्षम होते है।
डिजिटल कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड अच्छी होती है जिसकी मदद से यूजर इन कंप्यूटरों में भारी काम आसानी से कर सकता है।
डिजिटल कंप्यूटर में हम मल्टीटास्किंग कर सकते हैं, यानी इन कंप्यूटरों में हम एक समय में एक से अधिक कार्य कर सकते हैं।
डिजिटल कंप्यूटर में डेटा स्टोर करना आसान है, साथ ही यह डेटा को बहुत सटीक तरीके से स्टोर करता है।
डिजिटल कंप्यूटर कई प्राइस रेंज में आते हैं, जिससे यूजर अपने बजट के अनुसार इन कंप्यूटरों को खरीद सकता है।
डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग कई अलग-अलग प्रकार के कार्यों के लिए किया जा सकता है।
डिजिटल कंप्यूटर का स्टोरेज बहुत ज्यादा होता है जिसमें हम ढेर सारा डाटा स्टोर करके रख सकते हैं।
तो ये थे डिजिटल कंप्यूटर के कुछ फायदे, इसके अलावा डिजिटल कंप्यूटर के और भी कई फायदे हैं, लेकिन आज हमने आपको यहां कुछ मुख्य फायदों के बारे में बताया है।
डिजिटल कंप्यूटर के नुकसान
कोई भी चीज पूरी तरह से परफेक्ट नहीं होती, उसमें कुछ न कुछ खामियां जरूर होती हैं, इसी तरह डिजिटल कंप्यूटर की कुछ कमियां भी हैं जो इस प्रकार हैं-
डिजिटल कंप्यूटर पर वायरस अटैक हो सकता हैं। इन कंप्यूटरों के सिस्टम में वायरस आ सकते हैं, जिससे कंप्यूटर के लिए कार्य करना मुश्किल हो सकता है।
डिजिटल कंप्यूटरों को हैक किया जा सकता है, हम डिजिटल कंप्यूटरों में बहुत सारा डेटा स्टोर करते हैं, इसलिए अगर यह हैक हो जाता है तो यह एक बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
डिजिटल कंप्यूटर बहुत बड़े प्राइस रेंज में आते हैं, लेकिन अगर हम ऐसा कंप्यूटर चाहते हैं जिसमें प्रोसेसिंग स्पीड ज्यादा हो और स्टोरेज ज्यादा हो तो उसके लिए हमें काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
डिजिटल कंप्यूटर में डाटा Corrupt हो सकता है यानी अगर आप कोई गलती करते हैं तो आपका डाटा हमेशा के लिए खराब हो सकता है।
डिजिटल कंप्यूटर पूरी तरह से 0,1 कोड पर काम करते हैं, लेकिन अगर इन कोड्स में थोड़ी सी भी गलती हो जाए तो ये कंप्यूटर कोई काम नहीं कर सकते।
कंप्यूटर का इतिहास
हजारों साल पहले गणना के लिए ‘अबेकस’ का इस्तेमाल किया जाता था, जिसे पहला कंप्यूटर माना जाता है। इसके बाद, गणना करने के लिए कई यांत्रिक उपकरणों का आविष्कार किया गया, जैसे कि ब्लेज़ पास्कल द्वारा निर्मित पास्कलाइन कैलकुलेटर। लेकिन मेमोरी का इस्तेमाल किसी भी डिवाइस में नहीं किया गया, जिसके कारण यह सफल नहीं हो पाया। उसके बाद, अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में, चार्ल्स बैबेज ने ‘एनालिटिकल इंजन’ और ‘डिफरेंस इंजन’ नाम की मशीन का आविष्कार किया, जिसमें मेमोरी का इस्तेमाल किया जाता था। इन्हीं विचारों से आधुनिक कंप्यूटर के भविष्य की शुरुआत हुई। चार्ल्स बैबेज ने पहला मैकेनिकल कंप्यूटर बनाया, इसलिए उन्हें “कंप्यूटर का पितामह” कहा जाता है।
कंप्यूटर की पीढियां
कंप्यूटर का इतिहास कई साल पुराना है। इसकी पाँच मुख्य पीढ़ियाँ हैं। हर एक पीढ़ी में कई तकनीकी विकास हुए हैं जिन्होंने कंप्यूटर की कार्य क्षमता को बदल दिया है। कंप्यूटर की पीढ़ी की संक्षेप में नीचे चर्चा की गई है: –
कंप्यूटर की पहली पीढ़ी
कंप्यूटिंग युग के प्रारंभिक वर्षों में, कंप्यूटर की पहली पीढ़ी को 1940-1956 में विकसित किया गया था, जिसे “वैक्यूम ट्यूब” नाम दिया गया था। पहले, कंप्यूटर जनरेशन की तकनीक के साथ, किसी कार्य को निष्पादित करने और आउटपुट परिणाम प्राप्त करने में सप्ताह लगते थे। पहले, इनपुट प्राप्त करने के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था और आउटपुट का प्रिंट आउट लिया जाता था।
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर का एक उदाहरण ENIAC (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर) है। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में मेमोरी के लिए वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया जाता था। वैक्यूम ट्यूब के कारण, ये कंप्यूटर आकार में बड़े थे, इनमें मेमोरी कम थी और बिजली की खपत अधिक थी। पहली पीढ़ी के विशेष कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण ईडीएसएसी, यूनिवैक, यूनिवैक-1, आईबीएम -701, आईबीएम 650 हैं।
कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी
कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी 1956 और 1964 के बीच आई। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया, जो वैक्यूम ट्यूब से काफी बेहतर थे। पहली पीढ़ी की तुलना में ट्रांजिस्टर तेज, सस्ते, विश्वसनीय और छोटे थे। लेकिन इसके आउटपुट (पंच कार्ड और प्रिंटआउट) के लिए पहली पीढ़ी की तरह ही इस्तेमाल किया गया था। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में उच्च स्तरीय भाषाओं फोरट्रान और कोबोल का प्रयोग किया जाता था। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर उदाहरण आईबीएम 7094, यूनिवैक 1108, हनीवेल 400, सीडीसी 1604, सीडीसी 3600 हैं।
कंप्यूटर की तीसरी
कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी1964 और 1971 के बीच आई। तीसरी पीढ़ी के आगमन के साथ, कंप्यूटर क्षेत्र में बहुत विकास हुआ। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर के स्थान पर एकीकृत परिपथों (ICs) का उपयोग किया जाता था। तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर दूसरी पीढ़ी की तुलना में अधिक विश्वसनीय, आकार में छोटे और प्रक्रिया में तेज थे। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों को नियंत्रित करने के लिए उच्च-स्तरीय भाषा वाले ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया गया था, और इनपुट और आउटपुट के लिए कीबोर्ड और मॉनिटर का उपयोग किया गया था। तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के उदाहरण पीडीपी-1, पीडीपी-5, पीडीपी-8, आईसीएल 2903, आईसीएल 1900, यूनिवैक 1108 हैं।
कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी
कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी 1971 और 1985 के बीच, कंप्यूटर में इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) चिप के स्थान पर VLSI (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड) चिप का इस्तेमाल किया गया। जिसे “माइक्रोप्रोसेसर” कहा जाता है। . ये आकार में छोटे, विश्वसनीय और स्मार्ट कंप्यूटर थे जो अधिक शक्तिशाली थे। इसे एक अलग इनपुट और आउटपुट डिवाइस से जोड़ा जा सकता है। अंततः वे नेटवर्क से जुड़ने में सक्षम हुए और इंटरनेट का विकास हुआ।
वीएलएसआई के इस्तेमाल से सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) को सिंगल चिप पर इस्तेमाल करना संभव हो गया। इस पीढ़ी के कंप्यूटर ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई) पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) का इस्तेमाल करते थे। अंकगणित और तार्किक कार्य करना काफी सरल था। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर उदाहरण IBM 4341, DEC 10, STAR 1000, ZX – स्पेक्ट्रम, PDP 11, Macintosh, CRAY-1 (सुपर कंप्यूटर) हैं।
कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी
कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी 1985 से आज तक। भविष्य में आने वाले सभी कंप्यूटरों को पांचवीं पीढ़ी के अंतर्गत रखा गया है। पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित कंप्यूटिंग डिवाइस हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके इस पीढ़ी के कंप्यूटरों को बुद्धिमान बनाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि वॉयस रिकग्निशन, इमेज कंट्रोलिंग और पैरेलल प्रोसेसिंग के कार्यों को बहुत तेज गति से किया जा सके और इसकी डेटा स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक हो।
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में वीएलएसआईसी के स्थान पर माइक्रोप्रोसेसर के रूप में यूएलएसआईसी (अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट) चिप का उपयोग किया गया है। इस नई तकनीक के साथ, चौथी पीढ़ी की तुलना में माइक्रोप्रोसेसर के आकार और प्रदर्शन में काफी वृद्धि हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की एक उभरती हुई शाखा है, जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह सोचने और कार्य करने के तरीके की व्याख्या करती है। पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर में सभी हाई लेवल लैंग्वेज जैसे C, C++, Window 95, Visual Basic, Java, .Net, Python इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर डेस्कटॉप, लैपटॉप, नोटबुक, अल्ट्राबुक, क्रोमबुक, परम (सुपर कंप्यूटर) के उदाहरण है।
प्रश्नोत्तरी
डिजिटल कंप्यूटर क्या है?
डिजिटल कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर होते हैं जो बाइनरी नंबर सिस्टम (0 और 1) पर काम करते हैं, इस प्रकार के कंप्यूटर इनपुट प्राप्त करते हैं और उन्हें बाइनरी कोड में परिवर्तित करते हैं और उपयोगकर्ता को उपयुक्त परिणाम दिखाते हैं।
डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया?
डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार जॉन विंसेंट अटानासॉफ ने 1930 के दशक में किया था।
डिजिटल कंप्यूटर के उदाहरण क्या हैं?
वैसे तो डिजिटल कंप्यूटर कई प्रकार के होते हैं, लेकिन सामान्य उदाहरण की बात करें तो कैलकुलेटर, लैपटॉप, डेस्कटॉप, स्मार्टफोन, मोबाइल आदि डिजिटल कंप्यूटर के उदाहरण हैं।
डिजिटल कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं?
डिजिटल कंप्यूटर मुख्यतः 4 प्रकार के होते हैं – माइक्रो कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर और सुपर कंप्यूटर।
निष्कर्ष
आज की पोस्ट What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi पसंद आई होगी। इसके साथ ही आपको इस ब्लॉग के माध्यम से डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार, कंप्यूटर के कितने भाग, कंप्यूटर का वर्गीकरण, डिजिटल कंप्यूटर के कार्य आदि की जानकारी मिली। आशा है What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi पर दी गई जानकारी आपके लिए जानकारीपूर्ण और उपयोगी साबित हुई होगी।
वर्तमान समय डिजिटल कंप्यूटर का युग है और प्रयोग के अलावा वैज्ञानिक अनुसंधान और इंजीनियरिंग जैसे सभी क्षेत्रों में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। इसका उपयोग स्वचालित औद्योगिक प्रक्रियाओं, परिवहन प्रणालियों और अन्य सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण करने के लिए भी किया जाता है।
आपको यह पोस्ट (What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi) कैसी लगी, हमें नीचे कमेंट करके बताएं। अगर आपका इस पोस्ट (What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi) से जुड़ा कोई सुझाव या सवाल है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे अपने ज्यादा से ज्यादा दोस्तों और सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर जरूर करें ताकि उन सभी को भी यह (What is Digital Computer In Hindi | Digital Computer Definition In Hindi) जानकारी मिल सके।
धन्यवाद!